Vijay shankar
पटना, 4 अगस्त  ; राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में जदयू और भाजपा पर आरोप लगाया है कि उनकी बदनियती के कारण बिहार के लाखों छात्र और अभ्यर्थी आरक्षण के लाभ से वंचित होने जा रहे हैं।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि अभी शिक्षक, सिपाही, दारोगा सहित स्वास्थ्य विभाग, राजस्व विभाग एवं अन्य विभागों में लाखों पदों पर बहाली की प्रक्रिया चल रही है। इन पदों पर होने वाले बहाली में बिहार सरकार द्वारा अधिसूचित नयी आरक्षण कोटे का लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी, अति पिछड़ी एवं सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को नहीं मिल पायेगा। ज्ञातव्य है कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पहल पर कराए गए जातीय गणना से प्राप्त आंकड़े के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की सीमा 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 1 से बढ़ाकर 2 प्रतिशत,अत्यंत पिछड़ी जाति के लिए 18 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत , अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत एवं सामान्य वर्ग के गरीब वर्ग के लिए 10 प्रतिशत कर दी गई है। जिसे पटना उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। ऐसी स्थिति में अब एक हीं विकल्प है कि बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो अभी होने जा रहे बहाली में इस बढ़े हुए आरक्षण के लाभ से लाखों अभ्यर्थी वंचित हो जाएंगे।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि नौकरी के साथ हीं मेडिकल कॉलेज, तकनीकी संस्थानों एवं अन्य शिक्षण संस्थाओं में भी लाखों छात्र आरक्षण के लाभ से वंचित हो जाएंगे। बढ़े हुए आरक्षण की सीमा के आधार पर जिन लोगों की बहाली हो चुकी है उनके भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा होने की संभावना है। इसलिए जदयू और भाजपा बहानेबाजी न कर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अविलम्ब इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करवाए।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि यह सर्वविदित है कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा दबाव बनाने पर हीं राज्य में जातीय गणना हुई थी और उसके आंकड़े के आधार पर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत की गई थी। और बढ़ाए गए आरक्षण की सीमा के आधार पर हीं शिक्षकों सहित अन्य विभागों में लगभग पांच लाख पदों पर बहाली भी की गई। पर इसका श्रेय लेने के लिए जदयू और भाजपा बेचैन हो गई थी। तो अब क्यों नहीं इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करवा रही है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि न्यायालय के नाम पर केवल बहानेबाजी की जा रही है। उच्चतम न्यायालय ने ऐसा कुछ भी आदेश नहीं दिया है जो इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए बाधक हो। यदि केन्द्र सरकार इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कर लेती है तो फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का कोई जरूरत हीं नहीं रहेगी। जदयू और भाजपा के नेता किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट से अनुकूल फैसला होने का दावा कर रहे हैं। यह केवल लोगों को भ्रमित करने का प्रोपगंडा है। दरअसल जदयू और भाजपा की नियत हीं नहीं है कि आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाए और इसका लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति, अति पिछड़ी जाति और सामान्य वर्ग के गरीब अभ्यर्थियों और छात्रों को मिले। वह तो तेजस्वी जी के दबाव में नीतीश जी को जातीय गणना करवाना पड़ा और आरक्षण की सीमा को बढ़ाना पड़ा। अन्यथा आज यदि नीतीश कुमार जी चाहें तो आज हीं केन्द्र की एनडीए सरकार बिहार आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने को बाध्य हो जाएगी।

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