कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने ई-कॉमर्स पर जारी किया श्वेत पत्र
श्री राम शॉ
नई दिल्ली I प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विजन को व्यापारियों के बीच देश भर में बढ़ावा देने तथा ई कॉमर्स की विसंगतियों और कुप्रथाओं को दूर करने के उद्देश्य से कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने ई-कॉमर्स के क्षेत्र में व्यापक रूप से संबंधित मुद्दों को लेकर एक श्वेत पत्र जारी किया।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में ई-कॉमर्स और डिजिटल व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई है और उपभोक्ताओं में ई कॉमर्स के प्रति रुझान बढ़ा है। चूंकि ई-कॉमर्स भविष्य के व्यापार का एक तेजी से उभरता मॉडल है, इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि व्यापारियों, उपभोक्ताओं सहित सभी स्टेकहोल्डर्स के हित ई कॉमर्स में सुरक्षित रहें। इस दृष्टि से कैट ने डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स के बढ़ते महत्व, इस क्षेत्र के वर्तमान बाजार के आकार और इसके भविष्य के विकास, ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म के बढ़ते महत्व सहित ई कॉमर्स से संबंधित मौजूदा कानूनों का गहन अध्ययन किया है और जो प्रथाएं वर्तमान में इस क्षेत्र में प्रचलित हैं, उनको लेकर एक श्वेत पत्र तैयार किया है। 50 पृष्ठों के श्वेत पत्र में पांच अध्याय हैं और इसमें ई-कॉमर्स नीति में शामिल करने के लिए 27 सिफारिशें और उपभोक्ता संरक्षण (ई कॉमर्स) नियम, 2020 में शामिल करने के लिए 9 सिफारिशें शामिल हैं।
इस अवसर पर प्रकाश ने कहा कि सरकार छोटे और खुदरा व्यापारियों को अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए हर प्रकार का समर्थन और सहायता प्रदान करेगी। ई- वाणिज्य क्षेत्र में सभी के लिये समान अवसर उपलब्ध कराने को लेकर हर संभव प्रयास करेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकारी नीतियों का उल्लंघन अब बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। सरकार देश और लोगों के व्यापक हित में ई- वाणिज्य परिवेश का ईष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिये सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है।
प्रकाश ने कहा कि इन प्रयासों तथा उद्योग के सहयोग से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उल्लेखनीय योगदान दिया जा सकेगा। व्यापार, ई-कॉमर्स तथा एफएमसीजी कंपनियों की भारत में मजबूत स्थिति है। देश में उपभोक्ताओं की संख्या काफी अधिक है जिससे क्षेत्र की प्रत्येक कंपनी के लिए यहां अवसर हैं। सरकार पहले ही भारत को वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाने के लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत कर चुकी है। हम अपने “न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन” की नीति के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने ई-कॉमर्स नीति को लागू करने के सरकार के प्रयास और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के पिछले समय में दिए गए विभिन्न बयानों की सराहना की जिसमें कहा गया कि कानून और नीति का सभी को पालन करना होगा। उन्होंने कहा की हम उम्मीद करते हैं कि ई-कॉमर्स नीति जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी और ई-कॉमर्स में विकृतियां और असमानताएं समाप्त हो जाएंगी, जिससे देश में प्रतिस्पर्धी ई-कॉमर्स व्यापार वातावरण का मार्ग प्रशस्त होगा। कैट प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार भारत के व्यापारियों को डिजिटल तकनीक से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
खंडेलवाल ने आज नई दिल्ली में आयोजित श्वेत पत्र के विमोचन समारोह में बोलते हुए कहा कि श्वेत पत्र में ई कॉमर्स व्यापार में तटस्थता की कमी, ऑनलाइन प्लेटफार्मों द्वारा अत्यधिक छूट एवं डेटा के अनुचित उपयोग जिसके कारण अनुचित प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण का निर्माण एवं कुछ कंपनियों द्वारा उससे उठाये जाने वाले लाभ से संबंधित प्रमुख मुद्दों का विस्तार से वर्णन करता है। कैट ने विस्तार से अध्ययन किया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के आचरण का न केवल विक्रेताओं पर, बल्कि अन्य प्रमुख स्टेकहोल्डर्स – निर्माताओं और उपभोक्ताओं पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
आचरण के प्रभाव का अध्ययन करते हुए श्वेत पत्र में तर्क दिया गया है कि यह सुनिश्चित करना क्यों महत्वपूर्ण है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म तटस्थ रहें। इस विषय पर कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों और रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए ई-कॉमर्स व्यापार के संचालन में निष्पक्षता सुनिश्चित करने में विफलता एक ऐसी स्थिति की ओर ले जाएंगे, जहां ई कॉमर्स का लाभ केवल कुछ ही कंपनियां लेंगी जबकि कई अन्य स्टेकहोल्डर्स व्यापार से बाहर रह जाएंगे। इसलिए ई-कॉमर्स नीति को समावेशी बनाने की आवश्यकता है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सामूहिक विकास ही किसी भी व्यापार मॉडल की सफलता का पैमाना है।
खंडेलवाल ने आगे कहा कि श्वेत पत्र में सुझाव दिया गया है कि ई-कॉमर्स नीति को प्लेटफॉर्म तटस्थता की कमी, अत्यधिक छूट, डेटा के अनुचित उपयोग आदि से उत्पन्न चिंताओं को दूर करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उद्योग के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाया जाए। इसे सुनिश्चित करने के लिए यह भी सुझाव दिया है कि ई-कॉमर्स में एक अधिकार संपन्न रेगुलेटरी अथॉरिटी भी होनी चाहिए जो समावेशी विकास को बढ़ावा देने और नियमों को लागू करने में सक्षम हो और सभी स्टेकहोल्डर्स के हितों की रक्षा कर सके।