सम्पूर्ण क्रांति की स्वर्ण जयंती पर समारोह आयोजित, लोगों ने जेपी को किया याद
विजय शंकर
पटना। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने आज कहा कि संपूर्ण क्रांति में पूरे व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई हुई थी और यह आने वाली पीढ़ी को हमेशा बताने की जरूरत है । यह देखा जाए तो जिस तरह पूरे देश में संघर्ष का बिगुल जेपी ने फूंका था, वह दूसरी आजादी की लड़ाई की तरह थी । देश के संविधान की मर्यादा को जब भी चोट पहुंचाने की कोशिश होगी तो देश को संघर्ष करना होगा और उनके संघर्ष के साथ पूरा देश खड़ा होगा । आज संपूर्ण क्रांति के स्वर्ण जयंती के मौके पर जेपी के विचारों को देखकर आगे बढ़ाने का संकल्प सभी देशवासियों को लेना चाहिए।
बिहार विधान परिषद के प्रेक्षागृह में रविवार को आयोजित संपूर्ण क्रांति के स्वर्ण जयंती वर्ष के मौके पर वे बोल रहे थे ।
संपूर्ण व्यवस्था में परिवर्तन जेपी चाहते थे :पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद
आयोजित कार्यक्रम में सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि गांधी मैदान में जब जयप्रकाश नारायण ने युवाओं का आह्वान कर कहा था, सिंहासन खाली करो की जनता आती है । जेपी का यह शंखनाद सत्ता संभालने वाले उन लोगों को बड़ी चुनौती थी, जिसे लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति के जरिए दिया था। संपूर्ण व्यवस्था में परिवर्तन जेपी चाहते थे, लेकिन उन्हें सत्ता की कुर्सी से प्यार नहीं था । हमला चाहे जैसा होगा, हाथ हमारा नहीं उठेगा, यह संदेश छात्रों, युवाओं के लिए था जो दिशाहीन होकर भटक जाया करते थे। जेपी ने कहा था कि हर क्षेत्र में सुधार और बदलाव के लिए काफी कुछ संभव था, जयप्रकाश नारायण चाहते थे कि आज संपूर्ण क्रांति के स्वर्ण जयंती पर संकल्प लेने की आवश्यकता है । हर क्षेत्र में संघर्ष से सुधार और बदलाव संभव है।
जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति को कभी इतिहास बनने नहीं दें : विधायक अरुण कुमार सिन्हा
कुम्हरार के विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने कहा, संपूर्ण क्रांति का लक्ष्य सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं था बल्कि हर क्षेत्र में बदलाव लाने का था। जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति को कभी इतिहास बनने नहीं दें,संपूर्ण क्रांति को हमेशा जिंदा रखें, यह दायित्व आज की युवा पीढ़ी और छात्र- नौजवानों की है।
जुल्म का चक्कर,और तबाही कितने दिन? कितने दिन?
जेपी आंदोलन को अपनी कविता और गीतों के जरिए ताकत देने वाले कविवर सत्यनारायण ने कहा कि जब जेपी का आंदोलन शुरू हुआ था तो फणीश्वर नाथ रेणु ने उन्हें बताया था कि हम साहित्यकारों का भी दायित्व बनता है कि उनके आंदोलन को ताकत दिया जाए । मौके पर उन्होंने अपनी कविता ‘ कितने दिन की पंक्तियां सुनाई । और कहा
‘ जुल्म का चक्कर,और तबाही कितने दिन? कितने दिन?
हम पर, तुम पर सर्द सियाही कितने दिन? कितने दिन?
कविवर सत्यनारायण की इस कविता के बाद तो पूरा माहौल ही बदल गया और वन मोर, वन मोर जैसे डिमांड आने लगे।
सत्ता का विरोध कर रहे युवा, छात्र दिशाहीन थे जिन्हें जेपी ने संभालने का काम किया : किरण घई
आंदोलन से जुड़ीं पूर्व विधान पार्षद किरण घई ने संपूर्ण क्रांति की उत्पत्ति और शुरुआत की कहानी विस्तार से बताइ और कहां कि व्यवस्था में बदलाव के लिए सत्ता का विरोध युवा छात्र कर रहे थे, मगर वे दिशाहीन थे जिन्हें जेपी ने संभालने का काम किया। संपूर्ण क्रांति के आंदोलन में जिस तरह लोग जुड़ते चले गए, उससे संपूर्ण क्रांति की मशाल पूरे देश में जलने लगी ।संपूर्ण क्रांति में नारी मंडल की महिलाओं समेत छात्र-छात्राओं , युवाओं की बड़ी भूमिका थी और इसलिए जेपी ने कहा था सड़ी गली सरकार को, एक धक्का जोर से। संपूर्ण क्रांति आंदोलन से जमीन से जुड़ी हुई नेत्री किरण घई बहुत कुछ बोलना चाहती थी, मगर आयोजकों की समय सीमा ने उसपर लगाम लगा दिया। अपने संबोधन को उन्होंने खत्म करते हुए कहा कि संपूर्ण क्रांति की मशाल को जलाए रखना जरूरी है।
संपूर्ण क्रांति की मशाल हमेशा जलते रहना चाहिए: समीर महासेठ
वही अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व मंत्री समीर महासेठ ने कहा कि संपूर्ण क्रांति की मशाल हमेशा जलते रहना चाहिए। जो लोग मुख्य धारा में नहीं है, उन्हें मुख्य धारा में लाने का प्रयास करना चाहिए और इसके लिए आज की युवा पीढ़ी को संकल्प लेना होगा।
इस मौके पर पूर्व विधायक विक्रम कुंवर, पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल, डॉक्टर रश्मि प्रसाद, प्रोफेसर मंजू सक्सेना और राजेश श्रीवास्तव। ( दोनों जोधपुर, राजस्थान से),मधूप जी, कुमार अनुपम, कमल नयन श्रीवास्तव समेत जेपी से जुड़े सकड़ों लोग शामिल हुए। नम्रता आनंद और रूपाली ने वंदना जीत गए जबकि धन्यवाद ज्ञापन इंटरनेशनल हुमन राइट्स यूनियन के संयोजक और कार्यक्रम के महासचिव संदीप स्नेह ने किया ।
इस मौके पर आकाशा फाइनेंस द्वारा प्रायोजित संपूर्ण क्रांति स्वर्ण जयंती की स्मारिका ‘दर्प दलन’ का लोकार्पण भी अतिथियों ने किया। साथ ही मौके पर अतिथियों, पत्रकारों व विशिष्ट जनों को मोमेंटो देकर सम्मानित भी किया गया।