The Union Minister for Human Resource Development, Smt. Smriti Irani releasing book on great Tamil sage Thiruvalluvar by Shri Tarun Vijay Member of Rajya Sabha, in New Delhi on January 07, 2015.

बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता, 12 जून (हि.स.)। विमल दा ने अयोध्या को नहीं छोड़ा और अयोध्या ने विमलजी को कभी नहीं छोड़ा। वे अयोध्या के बौद्धिक योद्धा थे। वे मुख्यधारा के नाटककार थे तथा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता से कभी दूर न होते हुए, सबका आदर करते हुए सबको अपना आत्मीय बनाया। वे सबके लिए सब कुछ थे। उन्होंने भवानी भाई की पंक्ति ‘वही जिया जिसने किया/ सूरज की तरह नियम से बेगार करने का हिया’ को अपने जीवन में साकार करते हुए वे सबके प्रेरणास्रोत बने रहे। ये कहना हैं प्रखर चिंतक पत्रकार एवं पूर्व सांसद तरुण विजय का। शनिवार को ‘राम-शरद कोठारी स्मृति संघ’ द्वारा आभासी माध्यम से आयोजित ‘विमल लाठ सार्वजनिक स्मरण सभा’ में बतौर मुख्य वक्ता वह बोल रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सुनील पद गोस्वामी ने। बाबा योगेन्द्र श्रीवास्तव, बाबा सत्यनारायण मौर्य, विद्युत मुखर्जी, नीलांजना राय, अंशुमान लाठ एवं राजेश अग्रवाल प्रभृति ने अपने संस्मरणों के माध्यम से उनके जीवन के विविध आयामों पर अपने विचार व्यक्त किए एवं उनसे राष्ट्र भक्ति की प्रेरणा प्राप्त करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का प्रारंभ ‘ मां बस यह वरदान चाहिए ‘ गीत से हुआ जिसे स्वर दिया शशि मोदी ने तथा प्रभात जैन ने भी राष्ट्र भक्ति गीत से सबको सराबोर कर दिया। डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी ने सुप्रसिद्ध रंगकर्मी विमल लाठ के जीवन एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन से पाथेय ग्रहण करने का आग्रह किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन किया पंकज चौधरी ने। संस्था का परिचय दिया राजेश अग्रवाल लाला ने। विमल लाठ के चित्र पर पुष्पार्पण कर सबकी ओर से श्रद्धा अर्पित की संस्था के मंत्री प्रमोद बागड़ी ने। सभा में शोक प्रस्ताव का पाठ किया संस्था के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल लाला ने।
रजत चतुर्वेदी, अशोक कर्मकार, पूर्णिमा कोठारी, आनंद जयसवाल, प्रदीप अग्रवाल, अरुण प्रकाश मल्लावत, महावीर बजाज, अनिता बूबना, भागीरथ सारस्वत, अभिषेक बजाज, भागीरथ चांडक, शैलेश बागड़ी, शंकरलाल अग्रवाल,दिनेश रतेरिया, नंदलाल सिंहानिया, प्रमोद पुष्टि, शिवकुमार बागला, मुल्तान पारीक प्रभ‌ति देश के विभिन्न भागों से अनेक गणमान्य लोगों ने आभासी उपस्थिति से जुड़कर अपनी श्रद्धा निवेदित की।

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