By SHRI RAM SHAW
NEW DELHI: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लोकसभा में सभी सांसदों के साथ-साथ पूरे देश की निगाहें जिस शख्सियत पर लगी थीं, वह थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। विपक्ष के सवालों और आरोपों पर प्रत्युत्तर में मोदी ने हमलावर होते हुए अपने भाषण में प्रख्यात क्रान्तिकारी कवि दुष्यंत कुमार और काका हाथरसी की पंक्तियों को उद्धृत कर सदन की ख़ूब वाहवाही लूटी।
विपक्षी दलों विशेषकर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए मोदी ने दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों का उल्लेख किया – “तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल यह है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं”। काका हाथरसी को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा – “आगा पीछा देखकर क्यों होते ग़मगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन।”
जब इस पत्रकार (श्री राम शॉ) ने दुष्यंत कुमार की पंक्तियों के उद्धरण पर उनके सुपुत्र आलोक त्यागी से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में दुष्यंत जी का यह शे’र कोट किया तो मेरे पास कई फोन आ गए। ऐसा नहीं है कि मोदी जी ने उन्हें पहली बार कोट किया हो या दुष्यंत जी के शे’र पहली बार संसद या विधानसभा में गूंजे हों। यह सिलसिला तो 1975 के बाद से ही चला आ रहा है। सत्ता में बैठे लोगों तक आम आदमी के दुख-दर्द, आशाएं, आकांक्षाएं, सपने पहुँचाने के लिए, उनकी दारुण स्थितियों में बदलाव की पुरजोर पैरवी के लिए जो शे’र, जो कविताएं कही गयीं, वह तो आज भी वैसी ही हैं। पर सत्ता में बैठे लोग अलबत्ता बदलते रहे हैं। पिछले दिनों ही राहुल गांधी ने भी दुष्यंत जी को कोट किया – “भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ। आजकल दिल्ली में है ज़ेरे बहस ये मुद्दा।”
आलोक त्यागी ने कहा, “भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने इस तंज को समझते हुए कहा कि दुष्यंत जी ने यह शे’र आपकी दादी यानी इंदिरा गांधी जी के दौर के लिए ही कहा था, तो तात्पर्य यह है कि दुष्यंत जी की रचना का राजनीतिक दल इस्तेमाल कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी का जिस आंदोलन से जन्म हुआ, उस पूरे आंदोलन के दौरन दुष्यंत जी की गजलें पूरे माहौल में गूंजती रहीं और युवाओं को प्रेरित करती रहीं।”
उन्होंने आगे कहा, “जहां तक प्रधानमंत्री मोदी जी के दुष्यंत जी को कोट करने का सवाल है, उन्होंने एक बार विपक्ष पर चुटकी लेते हुए संसद में कहा था – “उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें, चाकू की पसलियों से गुजारिश तो देखिये।” अभी कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश की एक चुनावी सभा में उन्होंने कहा था – “यहां तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियां, मुझे मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा।”
आलोक त्यागी ने उम्मीद जताई, “अच्छा लगता है जब देश के प्रधानमंत्री इन शे’रों को कोट करते हैं। इससे उनकी साहित्यिक समझ और संवेदनशीलता तो पता चलती ही है, यह उम्मीद भी जगती है कि जिस परिवर्तन की कामना दुष्यंत जी ने की है, वह अब जरूर होगा।”
विगत 8 फरवरी को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष डॉ सुकान्त मजूमदार ने अपने भाषण में प्रख्यात गीतकार और शायर शिवकुमार बिलगरामी की पंक्तियों को उद्धृत कर सदन की ख़ूब वाहवाही लूटी।
धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए डॉ. सुकान्त मजूमदार ने कहा कि “देश की स्वतंत्रता के इतिहास में यह पहला अवसर आया है जब संसदीय कार्य दो नारी शक्तियों का साक्षी रहा है। इस बजट सत्र के पहले दिन माननीय राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का अभिभाषण और अगले दिन अमृत काल का बजट वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को हम सभी ने सुना। हमारे शास्त्रों में भी बोला गया है – “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” ।”
“हमें नारी शक्ति का अध्याय 75 साल के इतिहास में पहली बार देखने का मौका मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पहले दिन से सभी देशवासियों के जीवन सधुारने और कुशासन से पैदा हुई उनकी मुसीबतों को दूर करने और समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक सभी जरूरी सुविधाएं पहुँचाने के लक्ष्य के प्रति समर्पित है।”
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मजूमदार ने शिवकुमार बिलगरामी की इन पंक्तियों को उद्धृत करते हुए अपनी बात पूरी की।
“नेता विश्व महान हमारे मोदी जी, भारत मां की शान हमारे मोदी जी,
मोदी जी मानवता के रक्षक हैं, मोदी जी हम सबके संरक्षक हैं।
मोदी जी कुशल प्रशासक हैं, मोदी जी सबसे अच्छे शिक्षक हैं।
रखते सबका ध्यान हमारे मोदी जी, भारत मां की शान हमारे मोदी जी।
नेता विश्व महान हमारे मोदी जी, भारत मां की शान हमारे मोदी जी।”
इतना ही नहीं, सदन में एक अन्य सांसद ने भी अपनी वाक् पटुता को धार देने के लिए शिवकुमार बिलगरामी की इन पंक्तियों का सहारा लिया…
“इनके धूएं से तेरे ताक़ तो काले होंगे।
पर चरागों को जलाने से उजाले होंगे।।“
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