दोषी अफसरों को निलंबित करने की मांग की
‘मंत्री के समर्थन में विपक्षी सदस्य वेल में पहुंचे, जमकर की नारेबाजी
विश्वपति
पटना। बिहार विधानसभा के गेट पर गुरुवार की दोपहर श्रम संसाधन मंत्री देवेश मिश्रा को वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया। कारण उनके आने के ठीक पहले डीएम और एसपी की गाड़ी वहां से गुजरना था।
इसके कारण ट्रैफिक को रोका गया । संयोगवश उसमें मंत्री की गाड़ी भी रुक गई। इस घटना पर मंत्री आग बबूला हो उठे और उन्होंने उस वहां पर तैनात सिपाही ,दरोगा स्तर के कर्मचारियों पर अपना गुस्सा निकाला।
मीडिया कर्मियों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि यह सरकार का अपमान है। मंत्री की गाड़ी रोकी गई है ।जनप्रतिनिधियों का अपमान हुआ है।
वे विधानसभा के अंदर भी अध्यक्ष के सामने बोलने लगे। दोषी अफसर को तुरंत निलंबित करने की मांग करने लगे।
श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार ने प्रश्नकाल के दौरान सदन में उठकर कहा कि आज यह स्पष्ट होना चाहिए कि एसपी-डीएम बड़ा या सरकार।डीएम-एसपी की वजह से हमारी गाड़ी को रोक दी गई। आज सदन में सरकार साफ करे। मंत्री के स्वीकारोक्ति के बाद सदन में भारी बवाल हुआ।
तमाम विपक्षी सदस्य मंत्री जीवेश कुमार के साथ हो गये। भाकपा माले विधायक दल के नेता नेे कहा कि विधायक की पिटाई तो हो गई अब मंत्रियों की पिटाई बच गया है। विपक्षी विधायक भी मंत्री को न्याय दिलाने वेल में पहुंचे।
राजद समेत सभी विपक्षी सदस्य वेल में पहुंचकर मंत्री जी न्याय दो का नारा बुलंद करने लगे। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि मंत्री जी को हर हाल में न्याय मिलनी चाहिए। शोर-गुल कर रहे सदस्यों से अध्यक्ष ने कहा कि मंत्री जी को जरूर न्याय मिलेगा।
मंत्री जीवेश कुमार ने कहा कि आज जब हम सदन आ रहे थे इसी दौरान उनकी गाड़ी को रोक दी गई। कहा गया कि एसपी-डीएम जा रहे हैं इसलिए आप नहीं जा सकते। यह तो अजीब स्थिति है। वैसे डीएम-एसपी को तुरंत सस्पेंड किया जाना चाहिए। मंत्री के इस बात पर सदन में भारी हंगामा हुआ। विपक्ष पूरी तरह से मंत्री जीवेश मिश्रा के साथ खड़ा हो गया। अध्यक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि विधायकों की प्रतिष्ठा सबसे बड़ी है। सरकार की तरफ से ससंदीय कार्य मंत्री सदन में जवाब देंगे।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि मंत्री जी ने कहा कि विधानसभा परिसर में यह वाकया हुआ है। ऐसे में पूरा अधिकार विधानसभा अध्यक्ष का है। आसन जो निर्णय ले सरकार इस पर तैयार है। वहीं मंत्री को रोके जाने का मसले पर सभी दल के नेता सदन में बोल रहे थे।
इस दौरान भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने मांग किया कि जिसने भी ऐसी हरकत की है उन पर सख्त कार्रवाई हो। इसी साल विधायकों की पिटाई तो हुई ही अब मंत्री को पिटाना बच गया है।
मालूम हो कि बिहार में इन दिनों अफसरशाही काफी बेलगाम भी हो चुकी है। विभिन्न विभागों के अफसर सरकारी कार्यक्रमों के में भी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को नहीं बुलाते हैं। उद्घाटन समारोह , शिलान्यास समारोह आदि बड़े कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया जाता है।