विजय शंकर
पटना । पूर्व राज्यसभा सांसद आर. के, सिन्हा ने आज कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जी ने बड़ा अजीबोगरीब बयान दिया है। देश की 135 करोड़ जनता के प्रधानमंत्री को उन्होंने ‘‘गद्दार’’ और ‘‘कायर’’ दोनों कह दिया है । गद्दारी और कायरता के वंश में पले-बढ़े राहुल जी इस प्रकार की बेतुकी बातें करना बंद करें । पहली बात तो यह है कि राहुल गांधी का हिन्दी ज्ञान मिडिल क्लास से कम का लगता है क्योंकि, मिडिल क्लास के भी बच्चे जानते हैं कि ‘‘गद्दार’’ कौन होता है और ‘‘कायर’’ कौन होता है । मैं थोड़ा बताना चाहता हूँ कि देश के साथ गद्दारी किसने की और कायरपना का व्यवहार किसने किया । पहली गद्दारी देश के साथ तब हुई जब आजादी के तुरंत बाद जब कश्मीर के राजा हरि सिंह ने कश्मीर को भारत के साथ पूर्ण विलय का प्रस्ताव रखा, उसे अनावश्यक शर्तें रखकर ठुकराया गया, और मात्र न जाने क्यों सिर्फ इस बात की चिंता की गयी कि देश में दो प्रधानमंत्री, दो झंडे और दो संविधान कायम किये जायें। एक व्यक्ति को एक परिवार को संतुष्ट करने के चक्कर में यह सारा काम हुआ। आधा कश्मीर कबाइलियों के नाम पर पाक सेना द्वारा कब्जा होने दिया गया, यह देश के साथ पहली बड़ी गद्दारी थी।

उन्होंने कहा कि दूसरी गद्दारी और कायरतापूर्ण व्यवहार तब हुआ, जब तिब्बत को चीन ने हड़पा और हम ‘‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’’ का नारा लगवाते रहे । तीसरी गद्दारी तब हुई जब 1962 में कायरतापूर्ण व्यवहार के कारण सेना को छूट नहीं दी गई और पूरा अक्साईचीन सहित पचासों हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा भूमि चीन के कब्जे में जाने दिया गया जो आज भी चीन के ही कब्जे में बना हुआ है।

एक बड़ी कायरतापूर्ण ऐतिहासिक कार्य तो राहुल जी की दादी ने तब किया जब लोकनायक जयप्रकाश नारायण के शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने के लिए इंदिरा जी ने देशभर के सैकड़ों जगहों पर गोलियां चलवाकर हजारों नवयुवकों की हत्या करवायी, लाखों लोगों को जेल में ठूंसा और रातोरांत इमरजेंसी लगा दी।
राहुल जी वंश में ऐसे दर्जनों उदाहरण भरे पड़े हैं। इनके पूज्य पिताजी ने जब लंका की सरकार ने तमिल आन्दोलनकारियों को कुचलना शुरू किया तो गद्दारी और कायरता की पराकाष्ठा करते हुए अपनी सेना ही तमिल आन्दोलनकारियों को मारने के लिये भेज दी, जो अपने प्रकार का विश्व का पहला उदाहरण है जिसमें हजारों तमिल भाई भी मारे गये और हजारों भारतीय सैनिक भी मारे गये।

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