चिराग पासवान की संपत्ति की जाँच कराने को जदयू नेताओं का बन रहा दबाव
विजय शंकर
पटना । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही सातवीं बार और लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, मगर उनकी परेशानी इस पूरे कार्यकाल में बनी रहेगी और सत्ता विपक्ष के दबाव के बीच ही चलेगी । क्योंकि बड़े भाई की भूमिका में रहने वाले नीतीश कुमार की जदयू पार्टी इस बार कम सीटें आने के कारण छोटे भाई की भूमिका में चली गई है । ऐसे में भाजपा वादे से बंधकर सरकार बनाने में पूरी तरह नीतीश के साथ खड़ी दिखी । अगर पिछले चुनाव का आकलन करें तो 71 सीटों पर जीतने वाला जदयू इस बार इस बार मात्र 43 सीटों पर सिमट गया है जो आधी से मात्र 7 सीटें अधिक हैं । दलित वोटो को रोककर लोजपा ने जदयू को बनाया बड़ा भाई से छोटा भाई, फिर भी नीतीश कुमार लाचार और बेवश दिख रहे है क्योकि लोजपा के साथ नेपथ्य में भाजपा भी दिखती है । चुनाव परिणाम के बाद चिराग पासवान ने तो यहाँ तक कह दिया था कि हम चुनावी उद्देश्य में सफल हो गए और जदयू को हराने में कामयाब हो गए ।
एकाएक चुनाव के परिणाम ऐसे होंगे इसको मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हालांकि सोचा नहीं होगा, लेकिन चुनाव पूर्व तीसरे चरण में नीतीश को इसकी आहट जरूर मिल गई थी । और यही कारण था कि नीतीश कुमार ने अपनी अंतिम चुनावी सभा में अंतिम व अचूक तीर अंतिम चुनाव होने का चला दिया और यह बात कह दिया कि ‘अंत भला तो सब भला’ । जिस समय नीतीश कुमार यह बात बोल चुके थे, उसी समय पूरे राज्य समेत देश भर के मीडिया में यह बात पलक झपकते वायरल हो गई कि अब नीतीश कुमार संभवत: हार को भांप कर अपना अंतिम तीर चला दिया है । भला हो भाजपा का जिसने सारी रणनीति के बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना मुख्यमंत्री बनाने से गुरेज नहीं किया ।
सवाल है कि आखिरकार जदयू को इतनी कम सीटें कैसे और क्यों मिली । इन सीटों के पीछे कारणों में एक बड़ा कारण स्वर्गीय राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान सुर्खियों में रहे जिन्होंने नीतीश को हमेशा मुद्दों को लेकर और बयानों को लेकर घेरने की कोशिश की । माने या ना माने मगर सच है रामविलास पासवान जहां दलितों के मसीहा के रूप में पूरे बिहार में जाने जाते हैं , वही दलित समाज का वोट रामविलास पासवान के नाम पर आंख बंद कर देता रहा है । ऐसा माना जा रहा है कि लोज़पा ने 30 से 40 सीटों का नुकसान नीतीश को दिया है , नही तो इस बार भी नीतीश कि पार्टी जदयू बड़े भाई की ही भूमिका में ही रहती ।
जदयू के दिग्गज जिन्होंने सीटें कम होने पर जब चर्चा की और सर्वेक्षण किया तो यह बात खुलकर सामने आई कि लोजपा ने उनकी सीटें घटाने के लिए जितना कुछ किया है, उसे क्षमा नहीं किया जा सकता और शायद इसलिए जदयू के कई नेता अब इस बात को लेकर नीतीश तक बात पहुंचा रहे हैं कि स्वर्गीय राम विलास पासवान के बेटे चिराग के पास जो संपत्ति है उसकी जांच कराई जाए और जांच के बाद उन्हें कटघरे में खड़ा किया जाए । और देर सवेर ऐसा माना जा रहा है कि चिराग पासवान की संपत्ति की जांच होगी और चिराग पासवान सलाखों के पीछे होंगे । मगर इसमें यह बात जरूर है कि चिराग ने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा और भाजपा के संकेतों के बाद उसने कई कड़े फैसले लिए, जिसका नतीजा है कि भाजपा बड़ा भाई बनकर सीट तालिका में ऊपर गई । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि लोजपा ने पूरे बिहार में जो उम्मीदवारों को खड़ा किया उन सभी उम्मीदवारों ने जदयू के खिलाफ समानांतर होकर मैदान में अपनी स्थिति मजबूत की और वोट कटवा की भूमिका में रहे । दलित वोटों को रोकने की कोशिश की जिससे जदयू को जबरदस्त नुकसान हुआ पर भाजपा को दलित वोटों का कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि भाजपा के खिलाफ लोजपा ने कहीं भी उम्मीदवार खड़ा नहीं किया । ऐसी स्थिति में नीतीश लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के खिलाफ कार्यवाही किस हद तक कर पाएंगे यह कहना मुश्किल है क्योंकि लोजपा के साथ उसके पक्ष में पर्दे के पीछे भाजपा भी खड़ी है ।