लव कुमार मिश्र,

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के अध्यक्ष,नीतीश कुमार अब एक राजनीतिक पहेली बन गए हैं। नीतीश जी का अगला कदम क्या होगा,उनके साथ रहने वाले विजय कुमार चौधरी और अशोक चौधरी भी नहीं जानते हैं।

जेडीयू के पूर्व महासचिव के सी त्यागी ने २०१७ में सही कहा था ” मैं पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव हूं और मुझे टेलीविजन से पता चल रहा है, मुख्यमंत्री जी ने फिर अलायंस छोड़ दिया है,लालू को छोड़ कर बीजेपी के साथ चले गए हैं। नीतीश में बड़ी कमजोरी है” पार्टी और सरकार की गतिविधियों के बारे मे सूचना शेयर करने में कंजूसी ही दिखाते हैं” त्यागी ने मुखर होकर कहा था।

२००५ से २०१३ तक बीजेपी के साथ सरकार में रहे,सुशील कुमार मोदी के साथ यात्रा किया लेकिन जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत किया गया,तब इनकी आत्मा को बेचैनी हुई, साम्प्रदायिकता के नाम पर बीजेपी से अलग हो गए,। बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पटना में हो रही थी,प्रतिनिधियों के लिए मुख्यमंत्री आवास में डिनर आयोजित था, लेकिन अंतिम समय में कैंसिल कर दिया गया और बीजेपी के सभी मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया । स्वास्थ्य मंत्री,अश्विनी कुमार चौबे जो केदारनाथ त्रासदी में फंसे थे,उन्हें भी डिजमिस कर दिया।  नीतीश जी ने राजद और कांग्रेस सदस्यों के सहयोग से सरकार बनाई।

२०१४ के लोक सभा चुनाव में इनके सिर्फ दो सदस्य निर्वाचित हुए,२००९ में बीस थे।फिर २०१७ में एक दिन इनको महसूस हुआ,राजद के मंत्री भ्रष्ट आचरण में डूबे हैं,सीबीई, इनकम टैक्स और ईडी ने उप मुख्य मंत्री तेजस्वी यादव तथा रबड़ी देवी के आवास पर छापा मारा,नीतीश जी ने महसूस किया भ्रष्ट आचरण से समझौता नहीं होगा । पहले कम्युनलिज्म और अब करप्शन के नाम पर सुशासन बाबू ने फिर अलायंस छोड़ दी और बीजेपी के साथ चले गए।

अब तक नीतीश जी चार बार पलट चुके हैं,२०१३,२०१७,२०२२ और २०२४। २०१० में विधान सभा चुनाव में बीजेपी के साथ लड़ने पर ८८ सदस्य चुने गए,जो २०२० में घट कर ४३ हो गई थी,तब इन्होंने लोजपा पर अपनी हार का ठीकरा फोड़ा था।
लालू जी के साथ २०२२ में फिर गए,२४ जनवरी २०२४ को फिर अलग हो गए।विधान सभा और बाहर इन्होंने अपने बेटे की कसम खाई ” मर जायेंगे, मिट जाएंगे,लेकिन बीजेपी के साथ कभी नहीं जायेंगे”,लेकिन फिर बीजेपी के साथ चले गए।

नीतीश जी जो कभी सुशासन बाबू के रूप में प्रसिद्ध थे,अब पलटू राम हो गए हैं।अब फिर कसम खाने लगे हैं,बीजेपी को कभी नहीं छोड़ेंगे,पहले वाली गलती नहीं करेंगे।वे नरेंद्र मोदी का पाव भी सार्वजनिक रूप में छूते है,हाथ जोड़ कर प्रधानमंत्री को कहते हैं, अब आपके साथ ही रहेंगे।

लेकिन पिछले महीने अमित शाह ने जब कहा कि बिहार का मुख्य मंत्री २०२५ विधान सभा चुनाव के बाद तय होगा, नीतीश जी के प्रवक्तागण कह रहे है,बिहार के सर्व मान्य नेता नीतीश जी हैं,बीजेपी तो इन्हीं के बदौलत चुनाव जीतती है।
लालू प्रसाद ने घोषणा कर दी*” हम नीतीश को माफ कर दिए हैं,उसका स्वागत है,हमलोग मिलजुल कर काम करेंगे। लालू प्रसाद द्वारा सार्वजनिक निमंत्रण देने के बाद फिर संशय होने लगा है, नीतीश जी फिर पलटेंगे क्या?

नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को जोड़ने का प्रयास किया था और इनके नेताओं की पहली बैठक २०२३ में पटना बुलाई थी, इनको उम्मीद थी, इन्हें बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का अध्यक्ष या संयोजक बनाया जाएगा,छह महीने तक इंतजार किया,कुछ नहीं मिला तब फिर बीजेपी के साथ पिछले साल आ गए और राजद से ब्रेक अप कर लिया।

क्या फिर ब्रेक अप की तैयारी हो रही है,सिर्फ नीतीश कुमार ही बता सकते हैं,क्योंकि उन्होंने तेजस्वी यादव को दो साल पहले ही अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *