जातीय गणना को रद्द करे सरकार: अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन सिन्हा

विजय शंकर
पटना । आज दिनांक 14 अक्टूबर 2023 को गर्दनीवाग, पटना स्थित धरना स्थल पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, बिहार प्रदेश के पदाधिकारियों के नेतृत्व में एकदिवसीय धरना दिया गया । धरना बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित जातीय गणना की रिपोर्ट के विरुद्ध दिया गया । 2 अक्टूबर 2023 को जातीय गणना की रिपोर्ट बिहार सरकार ने जारी कर दिया है जिसमें बिहार के सम्मान एवं प्रतिष्ठा के लिए लड़ने वाले बुद्धिजीवी कायस्थ समाज की संख्या को जानबूझकर साजिश के तहत बहुत कम दिखलाया गया है । अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, बिहार प्रदेश सरकार से मांग करती हैं कि इस जातीय गणना की रिपोर्ट को तत्काल प्रभाव से वापस ले ले ।अन्यथा आने वाले चुनाव में खामियाजा भुगतने को तैयार रहे ।
प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन सिन्हा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि इस जातीय गणना की‌ रिपोर्ट को बिना जांचे-परखे प्रकाशित करने से बिहार सरकार की छवि धूमिल हुई है । इससे सरकार की विश्वसनीयता समाप्त हो गयी है । जातीय गणना की प्रक्रिया जटिल थी मगर मात्र 29 दिनों में पूरा करा लिया गया । इस कार्य में जिन महिलाओं और पुरुषों को लगाया गया था वह‌ खुद परेशान थे । वह सारे काम करने में बहुत असुविधा महसूस कर रहे थे । सरकारी व्यवस्था भी अपर्याप्त थी । एक परिवार की विवरणी लेने में आधा घंटा से अधिक समय लग जाता था फिर 29 दिनों में काम कैसे पूरा किया गया इसपर ही बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग रहा है।
अभाकाम के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनहर कृष्ण अतुल ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य के सभी 38 जिलों से कायस्थ समाज के लोगों ने इस जातीय गणना की रिपोर्ट पर रोष व्यक्त किया है। उन सभी बंधुओं की भावनाओं और रोष को प्रकट करने के लिए इस धरना का आयोजन किया गया है।
अभाकाम, बिहार प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार लाल ने कहा कि इस जातीय गणना की रिपोर्ट को कुड़ादान में फेंक देना चाहिए । इतना बड़ा झूठ और फरेब भरा रिपोर्ट बिहार पर कलंक है जिसे कायस्थ समाज कभी भी माफ़ नहीं करेगा और आने वाले चुनाव में इसका जवाब दिया जायेगा ।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, बिहार प्रदेश के महासचिव राकेश कुमार सिन्हा, वरिष्ठ अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि इसमें राजनीतिक साजिश नजर आती है । बिहारी समाज को हंसी का पात्र बनाने वाले, बिहार को पिछड़ा राज्य बना कर रखने वाले सत्ता पर काबिज भ्रष्ट राजनीतिक लोग बुद्धिजीवी कायस्थ समाज को हासिए पर डालकर महत्वहीन बनाना चाहते हैं जो उनका सपना पूरा नहीं हो पायेगा ।
अभाकाम, पटना जिला अध्यक्ष अजीत कुमार ने कहा कि जातीय गणना में कायस्थ समाज की संख्या बिहार में मात्र 7 लाख 85 हजार अर्थात राज्य की कुल जनसंख्या का मात्र 0.60% दिखलाया गया है। इतनी संख्या तो राज्य के एक दो जिलों में ही निवास करती है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष माया श्रीवास्तव ने बिहार सरकार ने मांग की है कि वह स्वीकार कर ले कि इस रिपोर्ट में भारी त्रुटि है । इसलिए इस जातीय गणना की रिपोर्ट को सरकार वापस ले ले अन्यथा चुनाव में यह समाज सबक सिखा देगा ।
सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि जातीय गणना का मामला अदालत में भी बहुत दिनों तक फंसा रहा । इसमें भी बहुत समय बर्बाद हुआ । सरकार ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर जल्दीबाजी में रिपोर्ट बनाकर जारी कर दिया जो शर्मनाक है । इस फर्जीवाड़े से बिहार की आन वान शान वाली जनता को बड़ा आघात लगा है। सरकार के इस गैरजिम्मेदाराना कार्य से बिहार की छवि भी धूमिल हुई है ।
इस धरना में भारी संख्या में चित्रांश बंधुओं ने भाग लिया जिनमें अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष राजीव रंजन सिन्हा, वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनहर कृष्ण अतुल , कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार, महामंत्री राकेश कुमार सिन्हा , माया श्रीवास्तव, विनय कुमार सिन्हा, पटना जिला अध्यक्ष अजीत कुमार,अजय कुमार सिन्हा मंटू, सुनील कुमार सिन्हा, रवि कुमार, राजेश श्रीवास्तव, कमल नयन श्रीवास्तव, प्रवक्ता विजय शंकर, अभिषेक आनंद, अजय सिंहा , आदर्श स्वरूप आलोक, धनंजय कुमार, तरुण कुमार, अभय कुमार, राजेश कुमार सिन्हा , आदित्य नारायण अम्बष्ठ , अखिलेश कुमार सिन्हा, गिरधर गोपाल, मुकेश कुमार श्रीवास्तव, विवेक प्रसाद सिन्हा , देवमणि श्रीवास्तव, राकेश रंजन श्रीवास्तव, सुशील कुमार सिन्हा , शैलेश कुमार श्रीवास्तव ,अमिताभ कृष्णा, आलोक कुमार, सुमित कुमार वर्मा, सुषमा सिन्हा, विकास चंद्र, आनंद प्रसाद, शैलेंद्र नारायण सोनू, देव कुमार, रंजीत वर्मा, विजय कुमार श्रीवास्तव, सुनील कुमार श्रीवास्तव, संजय कुमार सिंह आदि शामिल थे ।

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