नए संकल्प से ऐसे कार्यक्रमों को एक नया महत्व प्राप्त होता है : ईशा त्रिपाठी
By SHRI RAM SHAW
आगरा । विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर रविवार को आगरा केंद्रीय कारागार एवं जनहित सामाजिक सेवा संस्थान के तत्वाधान में यहाँ पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत जामुन, सहजन, अमरूद, आम, नीम, पीपल, बरगद के पौधे लगाए गए।
कार्यक्रम में आगरा केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ निरीक्षक वीके सिंह, डिप्टी जेलर एसपी मिश्रा, डिप्टी जेलर आलोक सिंह, जनहित सामाजिक सेवा संस्थान के महासचिव सोनी त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष समाजसेविका व लाइफ कोच लायन ईशा त्रिपाठी सूरी, डॉक्टर नेहा सक्सेना, मालती त्रिपाठी, संतोष कुमार, शिवम, संगीता लवानिया ने शिरकत की। साथ ही कारगार के बंदियों ने भी इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप संभावित गंभीर खतरों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए ईशा त्रिपाठी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण पर जोर देना आज नितांत प्रयोजनीय है। ऐसे समय में जब राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान नए संकल्प ले रहा है, ऐसे कार्यक्रमों को एक नया महत्व प्राप्त होता है। उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण के लिए भारत द्वारा बहुआयामी प्रयासों के उदाहरण के रूप में स्वच्छ भारत मिशन या कचरे से कंचन संबंधी कार्यक्रम, सिंगल यूज प्लास्टिक में कमी, एक सूर्य एक पृथ्वी या इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम का भी हवाला दिया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए ईशा त्रिपाठी ने कहा कि पर्यावरण रक्षा के भारत के प्रयास बहुआयामी रहे हैं। भारत ये प्रयास तब कर रहा है जब क्लाइमेट चेंज में भारत की भूमिका न के बराबर है। भारत आज बायोडायवर्सिटी और वाइल्डलाइफ से जुड़ी जिन नीतियों पर चल रहा है, उसने वन्य-जीवों की संख्या में भी रिकॉर्ड वृद्धि की है। आज भारत ने तय समय से 5 महीने पहले पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। 2014 में इथेनॉल सम्मिश्रण 1.5 प्रतिशत पर था। 10 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण से कार्बन उत्सर्जन 27 लाख टन कम हुआ है, 41 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है और हमारे किसानों को पिछले 8 वर्षों में 40 हजार 600 करोड़ की कमाई हुई है।
ईशा त्रिपाठी ने कहा कि दुनिया के बड़े आधुनिक देश न केवल पृथ्वी के अधिक से अधिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, बल्कि अधिकतम कार्बन उत्सर्जन उनके खाते में जाता है। भारत में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 0.5 टन की तुलना में दुनिया का औसत कार्बन फुटप्रिंट लगभग 4 टन प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष है। भारत पर्यावरण की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे स्थापित संगठन के सहयोग से दीर्घकालिक दृष्टि पर काम कर रहा है और हमें स्थानीय स्तर पर भी ऐसे कारगर प्रयास करने की आवश्यकता है।
वरिष्ठ अधीक्षक वीके सिंह ने कहा कि हम ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर ही अपने वातावरण को शुद्ध रख सकते हैं। शहरों के विकासीकरण के साथ ही अधिकाधिक पेड़ों को काटने के परिणामस्वरूप हमें असह्यगर्मी की मार झेलनी पड़ रही है।
महासचिव सोनी त्रिपाठी ने कहा कि संस्था द्वारा पौधारोपण के कार्यक्रम इसी प्रकार होते रहेंगे और उनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी संस्थान द्वारा ही की जाएगी। इसी प्रकार हमें अपने घरों के आसपास पौधारोपण को बढ़ावा देना चाहिए, तभी हम प्रकृति का संरक्षण कर पाएंगे।
इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने पर्यावरण को बचाने और बेहतर बनाने के लिए 10 महत्वपूर्ण शपथ ली | इस शपथ के अनुसार सभी…
1. स्कूटर, बाईक या कार की जगह बस और मेट्रो जैसे सार्वजनिक परिवहन माध्यमों का उपयोग करेंगे |
2. सिंगल यूज़ प्लास्टिक से बनी चीज़ो का इस्तेमाल नहीं करेंगे
3. घर से निकलने वाले हर रोज के कूडे-कचरे को गीले और सूखे कचरे के अनुसार अलग अलग करेंगे
4. कभी भी कूडा-कचरा और पत्तिया खुले में नहीं जलाएंगे
5. पौधे लगाना और मौजूदा पेड़ो की रक्षा करना
6. इलेक्टॉनिक कचरे का निस्तारण सही एजेंसियो द्वारा करवाना
7. आवश्यक ना होने पर विद्युत् उपकरणों को बंद रखना
8. नया सामान खरीदने से पहले री यूज़, रिपेयर और री थिंक पॉलिसी को अपनाना
9. ग्रीन एप पर प्रदूषण समस्याओ की रिपोर्ट करना
10. अगले 10 लोगों को इस शपथ के लिए प्रोत्साहित करना