• केंद्र सरकार के प्रतिनिधि मॉब लिचिंग के ख़िलाफ़ बने हुए कानून को अपनी अनुमति नहीं दे रहे हैं।

subhash nigam 

नयी दिल्ली : आज लोकसभा में माननीय सांसद कुँवर दानिश अली ने शून्यकाल के दौरान देश में हो रही मॉब लिंचिंग पर राज्यों द्वारा बनाये जा रहे कानून को केंद्र सरकार के प्रतिनिधि द्वारा अनुमति नहीं देने के मुद्दे को लोकसभा में उठाते हुए कहा कि आप जानते हैं कि देश के अंदर मॉब लिंचिंग किस तरह से लगातार बढ़ रही है। आपने देखा है चाहे हरियाणा का पहलू ख़ान हो, उत्तर प्रदेश का अख़लाक़ हो, महाराष्ट्र में साधुओं की मॉबलिंचिंग हुई हो या झारखंड में तबरेज़ अंसारी की मॉब लिंचिंग हुई हो। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बकायदा भारत सरकार को एक निर्देश दिया है कि मॉब लिंचिंग पर क़ानून बनाया जाए। लेकिन, भारत सरकार सोई हुई है। उस पर क़ानून नहीं बना रही है।

कुछ प्रदेश सरकारें मॉब लिचिंग के ख़िलाफ़ कानून बनाना चाहती हैं, क़ानून पास करके राज्यपाल को भी भेजा है, लेकिन केंद्र सरकार के जो प्रतिनिधि हैं, गवर्नर हैं, वे मॉब लिचिंग के ख़िलाफ़ बने हुए कानून को अपनी अनुमति नहीं दे रहे हैं।

अभी पिछले दिनों झारखंड की विधान सभा ने मॉब लिचिंग के ख़िलाफ़ कानून पास किया। झारखंड सरकार ने गवर्नर साहब से गुहार लगाई, लेकिन गवर्नर साहब ने काफी दिन तक रखने के बाद उसको वापस कर दिया।

आगे कुँवर दानिश अली ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की नीयत क्या है? जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी कह चुकी है कि मॉब लिचिंग के ख़िलाफ़ कानून बनना चाहिए, तो भी न केंद्र सरकार कानून बना रही है और न उन राज्य सरकारों को अनुमति दे रही है। जो सरकारें अपने यहां कानून बनाना चाहती हैं, गवर्नर्स के माध्यम से उनको रोका जा रहा है।

मेरी सरकार से यह मांग है कि मॉब लिचिंग के ख़िलाफ़ कठोर कानून बनाया जाए और जो राज्य इस पर कानून बना रहे हैं उन्हें अनुमति दी जाए। जिस से कि देश में धर्म के नाम पर हो रहे नरसंहार को रोका जा सके और मासूम लोगों की जान की रक्षा हो सके।

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