बंगाल ब्यूरो 

कोलकाता। राज्य के निवर्तमान मुख्य सचिव अलापन बनर्जी को लेकर विवाद गहराने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृह सचिव एचके द्विवेदी को मुख्य सचिव बनाने की घोषणा एक दिन पहले ही की थी। मंगलवार से उन्होंने अपना कार्यभार संभाल लिया है और इसके साथ ही शुरू हो गया है उनके नाम विवादों के बारे में चर्चा का सिलसिला। द्विवेदी का विवादों से पुराना नाता रहा है और मेट्रो डेयरी घोटाला मामले में ईडी उन्हें समन भी भेज चुकी है।
एचके द्विवेदी 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय से एक साल जूनियर हैं। वह अब तक राज्य के गृह सचिव के रूप में काम कर रहे थे और उनके पास लंबा प्रशासनिक अनुभव है।
एचके द्विवेदी लंबे समय से ममता बनर्जी के वित्तीय मामले देखते रहे हैं. वह बंगाल में वित्त विभाग के सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं तथा सांख्यिकी और योजना विभाग से भी जुड़े रहे हैं। वह साल 2012 के बाद से ही बंगाल विद्युत कॉर्पोरेशन के सदस्य हैं और बंगाल कैडर के आईएएस हैं।

एचके द्विवेदी लंबे समय से ममता बनर्जी के साथ काम कर रहे हैं और पूर्व मुख्य सचिव राजीव सिन्हा के रिटायर होने के बाद जब तात्कालीन गृह सचिल अलापन बंद्योपाध्याय को मुख्य सचिव का दायित्व दिया गया था, तो एचके द्विवेदी को गृह सचिव बनाया गया था और अब जब अलापन बंद्योपाध्याय रिटायर हो गए हैं, तो एचके द्विवेदी को उनकी जगह मुख्य सचिव बनाया गया है। एचके द्विवेदी के साथ सीएम ममता बनर्जी का काफी अच्छा रिश्ता रहा है और वह ममता बनर्जी के विश्वासपात्र आईएएस अधिकारियों में से एक हैं।
रिटायरमेंट लेने के पहले अलापन बंद्योपाध्याय के साथ एचके द्विवेदी को भी ‘मेट्रो डेयरी’ मामले में ईडी ने नोटिस भेजा था।
बता दें कि मेट्रो डेयरी के शेयर निजी कंपनी को स्थानांतरित करने के मामले में धनशोधन के पहलू की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तात्कालीन गृह सचिव एच के द्विवेदी को नोटिस भेजा था। ईडी के अधिकारियों ने फरवरी में केवेंटेर के दफ्तर पर छापा मारा था। उसी के बाद नोटिस भेजा गया था। वर्ष 2017 में, राज्य सरकार ने मेट्रो डेयरी में अपनी 47 फीसदी की पूरी हिस्सेदारी 84.5 करोड़ रुपये में केवेंटर कंपनी को बेचने को मंजूरी दे दी थी। इस कंपनी के मालिक कोलकाता का जालान समूह है। कांग्रेस सांसद व वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने वर्ष 2018 में कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें राज्य सरकार पर मेट्रो डेयरी के शेयरों का राजनीतिक और वित्तीय फायदे के लिए अवमूल्यन का आरोप लगाया था। इसकी वजह थी कि कवेंटर समूह ने डेयरी के इसी हिस्से को अरबों रुपये में विदेशी कंपनी को बेच दिया था। कोर्ट आर्डर के तुरंत बाद ही ईडी ने जांच शुरू कर दी थी।

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