By SHRI RAM SHAW

NEW DELHI: सुप्रसिद्ध तबलावादक ज़ाकिर हुसैन को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया है। वर्ष 2023 के लिए राष्ट्रपति ने तीन द्वय मामलों (एक द्वय मामले में, पुरस्कार को एक के रूप में गिना जाता है) सहित 106 पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी दी है। इस पुरस्कार से सम्मानित होने वालों की सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार पाने वालों की सूची में 19 महिलाएं हैं और विदेशियों/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई की श्रेणी के 2 व्यक्ति और 7 मरणोपरांत पुरस्कार पाने वाले भी शामिल हैं।

देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में पद्म पुरस्कार शामिल है। पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री के रूप में प्रदान किए जाते हैं। यह पुरस्कार कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा आदि जैसे विभिन्न विषयों/गतिविधियों के क्षेत्रों में दिए जाते हैं। असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म विभूषण’, उच्च स्तर की विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म भूषण’ और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। ये पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक समारोहों में प्रदान किए जाते हैं जो आमतौर पर हर साल मार्च/अप्रैल के आसपास राष्ट्रपति भवन में आयोजित किए जाते हैं।

ख़ुशी के इस अवसर पर मुंबई दूरदर्शन की पूर्व वरिष्ठ अधिकारी एवं सुप्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती शैलेष श्रीवास्तव ने ज़ाकिर हुसैन के बारे में कुछ विशिष्ट बातें साझा की। शैलेष ने हिंदी, संस्कृत, उर्दू, भोजपुरी और अवधी में कई गीतों को अपने सुमधुर स्वर से सजाया है। उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी गीत गाये हैं। उन्होंने कहा, “ज़ाकिर हुसैन तबले को ओढ़ते-बिछाते हैं। अल्लाहरक्खा खान साहब की एक बेहतरीन दुआ, अल्लाह की बख्शी हुई…मेरी नज़र में ज़ाकिर भाई मानवता से ऊपर…स्वर, लय, ताल से परिष्कृत व्यक्ति हैं। समदृष्टि, समभाव…जिनके तबले से आप ‘ओम’ सुन सकते हैं। वो ईश्वर की एक अद्वितीय देन हैं, इस भारत की धरती पर। हम भारतवासी भाग्यशाली हैं, जिनके पास ‘ताल’ का ऐसा ‘कोहिनूर’ है…’सच्चा रतन’। किसी आर्टिस्ट या व्यक्ति को वो छोटा बड़ा नहीं समझते।”

इस विशेष साक्षात्कार के दौरान शैलेष जी ने बताया, “जब ज़ाकिर भाई संगत करते हैं तो गाने या बजाने वालों को बड़ा बनाते हैं। उसको अपनी अभिव्यक्ति का अवसर देते हैं। यह नहीं कि मैं उस्ताद ज़ाकिर हुसैन हूँ – ये नहीं देखते। यही उनकी सहजता सभी का मन मोह लेती है और तबला वादन में तो उनकी सोच का जवाब नहीं। भारत रत्न लता मंगेशकर जी ने उन्हें डायमंड रिंग यूं ही नहीं भेंट की, उनके तबला वादन को सुनकर। वो कहते हैं न कि इंसान जितना बड़ा होता जाता है, यदि उसके संस्कार अच्छे हैं और वो अपनी कला में रत है तो उसकी खुशबू दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जाती है। वो सरहदों से पार, जाति-पाति से परे होकर और भी परम प्रिय होता जाता है। ऐसे हैं हमारे ज़ाकिर भाई – नायाब, बेहतरीन हीरा – अल्लाह की नेमत। “हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।”

 

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