जफर इमाम
भारतीय सिनेमा का इतिहास एक सदी से भी ज्यादा पुराना है … लेकिन भारतीय सिनेमा के इतिहास का जिक्र आने पर निर्देशन से लेकर अदाकारी तक में चंद लोगों का नाम आना लाजमी है । अदाकारी का नाम आने पर 60 की दशक में आने वाले चंद नामों में एक नाम है ट्रेजडी किंग के रूप में जाना जाने वाले अदाकार का, … जी हां हम बात कर रहे हैं ट्रेजडी किंग यूसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार की …उनकी अदाकारी की खास बात यह होती थी कि वह जिस तरह के कैरेक्टर को फिल्म में करते थे … उस कैरेक्टर में अपने आपको डूबाकर इस तरह की अदायगी करते थे मानो वह उस कैरेक्टर को करने के लिये ही बनाये गये हों ….
यूसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार को एक्टिंग के स्कूल के रूप में भी खिलाब दिया जाता है …उनकी की गयी अदाकारी की सराहना देश से लेकर विदेशों तक में होती रही है … यहां तक कि उस जमाने के प्रधानमंत्री से लेकर कई राजनीतिज्ञ और नामा गिरामी हस्तियां उनकी अदाकारी के कायल थे …शुरूआत के दिनों में उनकी ज्यादातर फिल्में ट्रैजडी वाली होती थी … वहीं मुगले आजम में उनके कहे गये डायलॉग के तलफ्फुज को लोग आज भी दोहराते रहते हैं … उनके डायलॉग डिलीवरी और अदाकारी के अंदाज को बाद में कई नये अदाकारों ने अपनी अदाकारी में सम्मिलित किया … इसलिये उन्हें एक चलते फिरते स्कूल का दर्जा भी भारतीय सिनेमा के लोगों ने दिया … गंगा जमुना में उन्होंने एक बागी डाकू की भूमिका निभाई तो देवदास में उन्होंने एक निराश प्रेमी के रूप में अपने किरदार के साथ इंसाफ किया …लेकिन बाद में उन्होंने कई फिल्मों में अपनी कॉमेडी का भी लोहा लोगों से मनवाया … तो उनकी फिल्म राम और शष्याम से भारतीय सिनेमा के इतिहास में डबल रोल की भूमिका की शुरूआत हुई ….वहीं सस्पेंस फिल्म और स्टंट फिल्मों में भी काम किया … एक हीरो के रूप में उनकी आखिरी फिल्म बैराग थी …. जिसमें उन्होंने तीन किरदार को निभाया था ….
हीरो की भूमिका निभाने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिये अदाकारी से अपने आपको अलग रखा … बाद में उन्होंने कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में धमाकेदार इंट्री कर भारतीय सिनेमा में एक बार फिर अमिट छाप छोड़ने का काम किया .. शक्ति में उन्होंने एक जिम्मेदार बाप के साथ कर्तव्य परायण पुलिस अफसर की भूमिका निभाकर एक संदेश देने का काम किया …तो मशाल , कर्मा जैसी फिल्मों में कैरेक्टर आर्टिस्ट की भूमिका निभाने के साथ उस किरदार को भी अपने अंदाज में जीवंत कर दिया कि लोग आज भी उन फिल्मों को देखकर रोमांचित हो उठते हैं
यही नहीं सामाजिक जीवन में भी उनका अच्छा खासा दखल रहा है … बंबई यानि वर्तमान मुंबई के वे एक जमाने में शेरिफ भी रह चुके हैं … तो केन्द्र सरकार ने उन्हें राज्यसभा सभा सदस्य के रूप में भी मनोनीत किया था… उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के अवार्ड से नवाजा … तो पाकिस्तान सरकार ने उन्हें निशान ए इम्तियाज का खिताब दिया …. वहीं फिल्म फेयर और दूसरे अवार्डों से उन्हें कई बार नवाजा गया … यहां तक कि सबसे ज्यादा अवार्ड पाने वाले अदाकार के रूप में उनका नाम गिनिज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में भी दर्ज रहा …