माले विधायक महानंद सिंह पहुंचे घटनास्थल पर, कहा – अब जहरीली शराब से दलित-गरीबों का हो रहा है जनसंहार
नालंदा के डीएम व एसपी पर कार्रवाई की मांग,  थाने के संरक्षण में चलता है शराब का अवैध कारोबार

न्यूज ब्यूरो 

पटना । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब से अबतक लगभग एक दर्जन लोगों की दर्दनाक मौत पर भाकपा-माले राज्य सचिव ने गहरा दुख प्रकट किया है और इसके लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराया है. कहा कि जहरीली शराब से लगातार होती मौतों को गंभीरता से लेने व राजनेता-प्रशासन-शराब माफिया गठजोड़ पर कार्रवाई करने की बजाए मुख्यमंत्री समाज सुधार का ढोंग करते रहे. नतीजा सबसे सामने है. उनके गृह जिले में ही अब जहरीली शराब ने तांडव मचाया है.

आज भाकपा-माले के अरवल से विधायक महानंद सिंह घटनास्थल पर पहुंचे और पूरी स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने पीड़ित परिजनों से मुलाकात भी की. उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि पहले सामंती शक्तियां दलित-गरीबों का सीधे जनसंहार रचाती थी, और अब जहरीली शराब के जरिए दलित-गरीबों का जनसंहार किया जा रहा है. जिला प्रशासन इस सच्चाई पर पर्दा डालने में लगा हुआ है. उनके साथ नालंदा जिला सचिव सुरेन्द्र राम, पाल बिहारी लाल, अनिल पटेल व खेग्रामस नेता प्रदीप कुमार भी जांच दल में शामिल थे.

भाकपा-माले ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि अबतक कुल 13 लोग मारे गए हैं और दो लोग इलाजरत हैं. शहर के वार्ड नंबर 18 व 19, मोहल्ला सिंगार हाट, छोटी पहाड़ी में भयावह स्थिति है. प्रशासन सच्चाई को छुपाने में लगा है और परिजनों पर इन मौतों का कारण जहरीली शराब नहीं बल्कि ठंड बताने का दबाव बना रहा है.
जहरीली शराब से भागो मिस्त्री, उम्र – 70 वर्ष, पिता- स्व. फागु मिस्त्री; मुन्ना मिस्त्री-55, पिता – नीरू मिस्त्री; अशोक शर्मा- 60, पिता-सुखदेव शर्मा; धर्मेन्द्र प्रसाद-50, पिता-स्व. लेखा महतो, सुनील तांती-30, पिता-वियज तांती; अर्जुन पंडित-61 समेत अन्य 5 लोगों की मौत हुई है.
माले नेताओं ने कहा कि हम बार-बार मांग करते आए हैं कि जब तक राजनेता-प्रशासन व शराब माफिया गठजोड़ की जांच व उनपर कार्रवाई नहीं होती, तब तक इस तरह की घटनाओं को नहीं रोका जा सकता है. लेकिन बिहार सरकार ने हमारी मांग को लगातार अनसुना किया है और बेहद गैरजिम्मेवारी का परिचय दिया है.

जिन वाहनों से शराब की ढुलाई होती है, उसके ड्राइवर व खलासी तथा गरीबों पर तो सरकार ने दमन अभियान चला रखा है; लेकिन वाहनों के मालिकों पर न तो एफआईआर होता है और न ही उनपर कोई कार्रवाई होती है. पर्दे के पीछे के असली खिलाड़ियों को बचाने की कोशिश मंे प्रशासन जी-जान से लगा रहता है. नीतीश कुमार ने इस नाम पर थाने को असीमित अधिकार दे रखे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि थाने की देखरेख में ही बालू व दारू का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है.

यदि नीतीश सरकार में थोड़ी भी नैतिकता बची है, तो इसकी जिम्मेवारी लेते हुए सबसे पहले वे नालंदा के डीएम व एसपी पर कार्रवाई करें.

भाकपा-माले जांच दल ने मृतक परिजनों के लिए कम से कम 20 लाख मुआवजा, सरकारी नौकरी, बड़े पदाधिकारियों पर कार्रवाई, थानों द्वारा बालू व दारू के अवैध कारोबार की जांच आदि की मांग की है.

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