जीएनएम छात्राओं की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की मांग की
नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो
पटना : पीएमसीएच की आंदोलनरत जीएनएम नर्सिंग छात्राओं के सवाल पर आज भाकपा-माले, आइसा और ऐपवा का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल बिहार के स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय से मिला.
प्रतिनिधिमंडल में भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, आइसा के राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम, ऐपवा की आसमा खान सहित जीएनएम नर्सिंग छात्राएं भी शामिल थे.
प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री से स्पष्ट शब्दों में कहा कि पीएमसीएच की जीएनएम नर्सिंग छात्राओं का हॉस्टल वैशाली के राजापाकर में शिफ्ट करना कहीं से उचित प्रतीत नहीं होता है. प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री को अपना लिखित मांग पत्र दिया, जिसमें नर्सिंग छात्राओं के लिए पटना में ही रहने की व्यवस्था की मांग की गई है.
मांग पत्र में यह कहा गया है यदि एक जगह संभव ना हो तो अलग-अलग बैच को अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट किया जा सकता है, लेकिन इसे पटना में ही किया जाना चाहिए ताकि छात्राएं बेवजह की परेशानी का सामना न करें.
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आंदोलन के दौरान नर्सिंग छात्राओं पर बर्बर लाठीचार्ज हुआ, पीएमसीएच प्रशासन का रुख इन लड़कियों के प्रति बहुत ही कठोर रहा है और आंदोलन का बहाना बनाकर उनके ऊपर कार्रवाई की भी धमकी दी जा रही है. यह सरासर अन्याय है और इसे तत्काल रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए.
प्रतिनिधिमंडल ने आगे कहा कि नर्सिंग छात्राओं के बीच बर्बर लाठीचार्ज और पीएमसीएच प्रशासन के असंवेदनहीन रुख के बाद भय का माहौल व्याप्त है. सरकार अपनी ओर से पहल करके जीएनएम नर्सिंग छात्राओं को आश्वासन दे कि उन्हें भविष्य में किसी भी प्रकार के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा.
विदित हो कि पीएमसीएच से अपना हॉस्टल वैशाली के राजापाकर में शिफ्ट किए जाने के खिलाफ जीएनएम नर्सिंग छात्राओं ने लगातार आंदोलन किया.आइसा और ऐपवा ने इस आंदोलन का सक्रिय समर्थन किया. पुलिस ने बहुत ही बर्बरता के साथ छात्राओं पर लाठीचार्ज किया. लाठीचार्ज में कई लोग घायल हुए थे और फिर जबरदस्ती छात्राओं के आंदोलन को वहां से हटा दिया गया. प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन के इस संवेदनशील रुख की चर्चा स्वास्थ्य मंत्री के सामने की.
स्वास्थ्य मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की तमाम बातों को सुना. भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने बाद में कहा कि हमें उम्मीद है बिहार सरकार इस मामले में अपने अड़ियल रवैया को छोड़ते हुए संवेदनशीलता का परिचय देगी. छात्राओं की तमाम शंकाओं को दूर करेगी और उनके लिए पटना में ही रहने की व्यवस्था करने की दिशा में आगे बढ़ेगी.